Monday 26 November 2012

फेसबुक पर फितूरी संदेश



हम कॉमन मैन बेवकूफ हैं. माफ कीजिएगा. पहले ब्लॉग की शुरुआत ऐसी आमबयानी से नहीं करनी चाहिए लेकिन क्या करें. बेवकूफों में मैं भी शामिल हूं. फेसबुक पर इन दिनों एक मेसेज चल रहा है और उसे शेयर करने की अपील चल रही है. इसमें बर्नर कन्वेंशन के बारे में लिखा है. लिखा है किस तरह एक खास डिक्लेरेशन दे देने से फेसबुक पर आप जो भी पोस्ट करेंगे, वह आपकी प्रोपर्टी रहेगी और पता नहीं क्या क्या.
हां, पता नहीं क्या क्या. हम लोग देखा देखी इसे पोस्ट कर रहे हैं. बिना यह जाने कि क्या फेसबुक वाकई ऐसा चाहता है या कोई मजे लेने के लिए खुराफात कर रहा है. अब पता चला है कि यह खुराफात ही थी. हम लोगों के साथ ऐसा पहली बार तो नहीं हुआ. पता नहीं कितनी बार ऐसे संदेश आते रहे और हम लोग इसके पीछे पागलों की तरह भागते रहे. यह सोचे बिना कि जिसकी कंपनी है, उसकी पॉलिसी क्या है, वह क्या चाहता है. हमारे एक गुरु कहा करते थे कि उन्हें गलतियों से परहेज नहीं लेकिन हर बार नई गलती होनी चाहिए. एक हम हैं कि हर बार एक ही गलती दोहराते हैं.
जब आप पहली बार फेसबुक या किसी भी वेबसाइट पर साइन इन करते हैं, तो आप एक खास खाने में बिना सोचे टिक कर देते हैं. उस खाने में लिखा होता है कि आपने नियम और शर्तें पढ़ ली हैं और आप उसे मानते हैं. भला कौन इन नियम शर्तों को पढ़ता होगा. मैंने भी नहीं पढ़ा क्योंकि ये कोई आठ दस पन्नों का भारी भरकम बोरिंग पोथी टाइप माल होता है. तो जनाबे वाली, आप इन नियमों से बंधे हैं, न कि अपनी तरफ से कोई करारनामा जारी कर देने से. ये मामूली सी बात है, जो हम कॉमन मैन को सोच लेना चाहिए था. लेकिन जब तक सोचते और जब तक उस संदेश के जाली होने के बारे में पता चलता, हजारों, शायद लाखों लोगों ने खामख्वाह अपना वॉल रंग लिया.

No comments:

Post a Comment