हीरा है सदा के लिए लेकिन साथ ही औरतों के लिए.. भला हीरे की कीमत एक औरत से
बेहतर कौन जान सकता है. लेकिन दुनिया का सबसे महंगा हीरा कोहिनूर औरतों की पसंद
नहीं, बल्कि मर्दों की अय्याशी की निशानी रहा है.
कोहिनूर को कामयाबी नहीं बल्कि बदकिस्मती का हीरा कहते हैं. कहते हैं कि यह
शापित हीरा है, जो उबरने नहीं देता. यह जहां गया, मुश्किलें साथ ले गया. वजह भले
इसका अनोखापन और इस महंगी चीज को पाने की तड़प रही हो लेकिन जरा एक नजर डालिए कि
यह किन ताजों और सिंहासनों से होकर गुजरा.
कभी ग्वालियर के राजा के पास हुआ करता था, राजा, रानी नहीं. फिर खिलजी वंश के
राजाओं (रानियों नहीं) के हाथों से होता हुआ बाबर तक पहुंचा. बाबर और हुमायूं इसे
पाकर अघाते रहे. दुनिया कहती है कि शाहजहां को अपनी बेगम से बहुत मुहब्बत थी,
जिसके लिए ताजमहल बनवा दिया गया. लेकिन शायद शाहजहां को बेगम से ज्यादा मुहब्बत
कोहिनूर से रही होगी. तभी तो औरतों का सिंगार उसने मुमताज को नहीं दिया, बल्कि
अपने मयूर सिंहासन में लगा दिया.
कौन कहता है कि नादिर शाह ने कोहिनूर को लूटा. उसे तो मर्द सैकड़ों साल से
लूटते आए हैं. नादिर शाह भी उन्हीं मर्दों में एक था. इसे लूटने के 10 साल के अंदर
वह भी मारा गया. हीरा फिर एक मर्द के पास पहुंचा. नादिर शाह के जनरल दुर्रानी के
पास. उसने भी इसे अपनी महबूबा या बेगम को नहीं दिया, बल्कि इसकी वजह से मारा मारा
फिरता रहा.
श्राप से सना हीरा भारत लौटा भी तो राजाओं के पास. रंजीत सिंह ने कुछ दिनों तक
इसे घोड़े से साथ बांटा. ख्याल रहे अपने पसंदीदा घोड़े के साथ, किसी घोड़ी के साथ
नहीं.
भला हो लॉर्ड डलहौजी का कि उन्होंने पहली बार इसकी कीमत समझी. तो क्या अगर वह
उसे ब्रिटेन पहुंचा दिया गया, यह पहली बार किसी महिला के ताज में सज़ा. कोहिनूर का
नूर पहली बार दिखा. अब भी ब्रिटिश रानियां इसे पहनती हैं, राजा नहीं. आगे भी केट
मिडिलटन पहनेंगी, प्रिंस विलियम नहीं. कोहिनूर भारत के साथ न हो, इज्जत के साथ तो
जरूर है.
कहते हैं कि हीरे भगवान और महिलाओं पर ही अच्छे लगते हैं. लंदन टावर में
मुस्कुराते कोहिनूर ने साबित कर दिया है कि ताकत के बल पर कोई भगवान नहीं बन सकता.
(Photo Credit: <a href="http://www.flickr.com/photos/stevendepolo/3854090122/">stevendepolo</a> via <a href="http://photopin.com">photopin</a> <a href="http://creativecommons.org/licenses/by/2.0/">cc</a>)
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